IPO क्या होता है | पैसे कमाने का सही तरीका

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IPO kya Hota hai

IPO इनिशियल पब्लिक ऑफर / IPO kya Hota hai?

IPO समझने के लिए मान लीजिए की एक कंपनी यानी कि प्राइवेट बिजनेस. यानी कि कुछ ही लोग इस कंपनी के मालिक हैं, जिसमें उनके Promoter, फैमिली और फ्रेंड्स, वेंचर कैपिटलएस, और एंजल इन्वेस्टर भी हो सकते हैं.

कुछ कंपनी में टैलेंट एंप्लाइज को भी Share Holding दी जाती है ताकि वह इस कंपनी को अपनी कंपनी समझे और उस तरह से काम करें.

मान लीजिए जिस platform पर कंपनी काम कर रही है वह अच्छा काम कर रही है, मगर यदि यह कंपनी expand हो ना चाहे, अपनी ऑपरेशनल कैपेसिटी को बढ़ाना चाहती है, नए-नए प्लांट बनाकर नए प्रोडक्ट मार्केट में उतारना चाहती है तो उसके लिए उन्हें पैसा चाहिए यानी कि उसे कैपिटल चाहिए.

इसके लिए कंपनी के पास दो रास्ते होते हैं जिसमें से एक लोन अब लोन में आता है इंटरेस्ट और प्रिंसिपल. कंपनी को प्रॉफिट हो या ना हो लेकिन लोन के पॉइंट में कंपनी को इंटरेस्ट और उसका प्रिंसिपल बैंक को देना ही पड़ता है.

तो इस सिचुएशन में कंपनी यह देखती है कि हम Interest और Principle क्यों दे. इसकी जगह कंपनी IPO यानी की इनिशियल पब्लिक ऑफर के जरिए अपनी हिस्सेदारी Shares Holder  को देती है और इसी को आईपीओ कहते हैं.

आईपीओ के बाद जनरल प्रमोटर, फ्रेंड्स, फैमिली इत्यादि ही लोग कंपनी के मालिक नहीं है इसके साथ साथ इसके मालिक जनरल पब्लिक भी है, जो कुछ लोगों से लेकर 1000 लोगों तक भी हो सकते हैं. यानी कि जनरल पब्लिक भी इस कंपनी में प्रॉफिट के हिस्सेदार रहेंगे.

जब कोई कंपनी आईपीओ के लिए जाना चाहती है तो इन्वेस्टमेंट बैंक की मदद से अपने कंपनी की Valuation करती है और यह भी डिसाइड करती है कि Stock Price क्या होनी चाहिए।

आईपीओ के लिए कंपनी को सेबी का बनाया हुआ प्रोसेस फॉलो करना पड़ता है और पूरे आईपीओ के प्रोसेस में जो issue के रजिस्ट्रार है उनकी मदद करते हैं.

कंपनी को यह डिसाइड करना पड़ता है कि आईपीओ के द्वारा वह कितना % stake हिस्सेदारी जनरल पब्लिक में देना चाहती है और कितना हिस्सेदारी खुद के पास रखना चाहती है.

तो मान लीजिए कोई कंपनी 20 % एक आईपीओ के द्वारा जनरल पब्लिक को देना चाहती हैं यहां पर वह 2000000 शेयर्स issue करेगी, और 50 से ₹60 रुपए शेयर के हिसाब से प्राइस बैंड को एक्सेप्ट करेंगी.

तो यहां पर जो लोग ज्यादा bid लगाते हैं उन्हीं लोगों को आईपीओ मिलता है मान लीजिए किसी ने ₹60 रुपए की बीड लगाई है उन्हीं लोगों को यह आईपीओ इश्यू होगा. तो इसमें जिन लोगों ने ₹60 से नीचे बीड लगाई है उन लोगों को आईपीओ नहीं मिलेगा.

तो इस प्रोसेस के द्वारा कंपनी यह सारा पैसा जमा करती है.

आईपीओ के कुछ खास पॉइंट, जो जानना बहुत ज्यादा जरूरी है:

  • आईपीओ लिमिटेड पीरियड के लिए ही खुलता है जिसमें 3 से 10 दिन का वर्किंग पीरियड के लिए एक आईपीओ खुला रह सकता है.
  • जब आप आईपीओ में शेयर खरीदते हैं तो आप डायरेक्टली कंपनी से शेयर खरीद रहे होते हैं इसे प्राइमरी मार्केट कहते हैं.
  • इसके बाद कंपनी स्टॉक मार्केट में लिस्ट हो जाती है. इसे हम सेकेंडरी मार्केट कहते हैं

जिस दिन कंपनी स्टॉक मार्केट में लिस्ट होती है. तो कई बार उसका प्राइस उसके दिए हुए प्राइस बैंड से अधिक होता है मान लीजिए, आपने ₹60 की bid लगाई थी, लेकिन जब कंपनी मार्केट में लिस्ट होती है. तब उसका प्राइस ₹120 प्रति शेयर हो जाता है यानी कि आपने लगाए हुआ पैसा डबल हो जाता है. कभी कबार यह दोगुने से भी अधिक हो जाता है. और कभी कभी कंपनी का प्राइस उसके दिए हुए लिस्ट प्राइस से कम होता है.

लेकिन ज्यादातर लोगों को आईपीओ में बहुत अच्छा प्रॉफिट मिला है, इसीलिए लोग बड़े पैमाने पर आईपीओ में Investment करते हैं और इसमें अच्छा खासा प्रॉफिट उन्हें मिलता है.

किसी कंपनी का आईपीओ में जाना कोई साधारण बात नहीं है इस में जाने के लिए सेबी के कई तरह के रूल्स एंड रेगुलेशंस को फॉलो करना पड़ता है.

अब तक के जितने भी बड़े आईपीओ देखे गए हैं,

  • Burger king
  • Gland Pharma
  • Reliance Power
  • ICICI Life insurence
  • SBI Card

जैसे कि कई सारे कंपनियां आईपीओ के जरिए लिस्टेड हुई है.

ऐसे भी कई बड़ी कंपनियां है जो अभी भी मार्केट में लिस्टेड नहीं हुई है जिसमें Flipkart, Big Baket, etc.

 

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